डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम(Dr. A.P.J. Abdul Kalam) की प्रेरणादायक जीवनी – मिसाइल मैन से लेकर भारत के राष्ट्रपति बनने तक का सफर
“अगर सूरज की तरह चमकना है, तो पहले सूरज की तरह जलना होगा।”
ये शब्द हैं भारत के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक और करोड़ों युवाओं के आदर्श डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम(kalam) के।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे एक ऐसे गरीब मुस्लिम बच्चे की कहानी, जिसने 10 साल की उम्र में अख़बार बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट पाला, और आगे चलकर भारत को अंतरिक्ष और रक्षा के क्षेत्र में एक नई ऊँचाई दी। चलिए जानते हैं इस महान व्यक्तित्व की संपूर्ण जीवनी।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम(Dr. A.P.J. Abdul Kalam) का जन्म और प्रारंभिक जीवन
डॉ. अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु के एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता जैनुलाब्दीन नाव चलाने का काम करते थे और तीर्थ यात्रियों को रामेश्वरम की सैर कराते थे। उनकी मां आशियम्मा एक गृहिणी थीं।
बचपन से ही कलाम(kalam) जी ने गरीबी को करीब से देखा था। घर में चार भाई और एक बहन के साथ उनका परिवार बड़ा था, लेकिन संसाधन सीमित थे। ऐसे में 10 साल की उम्र में उन्होंने अख़बार बेचना शुरू किया, जिससे घर की आर्थिक मदद हो सके।
शिक्षा की ललक और शुरुआती संघर्ष
कलाम(kalam) जी को पढ़ाई का बेहद शौक था। अख़बार बेचने से पहले वो हर खबर को ध्यान से पढ़ते थे। उनकी पढ़ाई में रुचि और मेहनत को देखकर उनके शिक्षक भी प्रभावित होते थे। लेकिन सिर्फ गरीबी ही नहीं, उन्हें धार्मिक भेदभाव का भी सामना करना पड़ा।
एक दिल छू लेने वाला किस्सा
जब वे पांचवीं कक्षा में थे, तब अपने ब्राह्मण मित्र रामनाथ शास्त्री के साथ पहली बेंच पर बैठते थे। एक दिन स्कूल में आए नए शिक्षक ने उन्हें एक मुस्लिम लड़के को ब्राह्मण के साथ बैठा देखकर आपत्ति जताई और कलाम(kalam) जी को अंतिम बेंच पर भेज दिया।
लेकिन कलाम(kalam) जी ने इसी अंतिम बेंच को अपनी शक्ति बना लिया और बाद में कहा –
“The best brains of the nation may be found on the last benches of the classroom.”
प्रेरणा का स्रोत – उड़ते हुए पक्षी
उनके एक शिक्षक शिवा सुब्रमण्यम अय्यर ने एक दिन छात्रों को चिड़ियों की उड़ान समझाने के लिए समुंद्र किनारे ले जाकर प्रैक्टिकल डेमो दिया। उड़ती चिड़ियों को देखकर अब्दुल कलाम के मन में फाइटर पायलट बनने का सपना जन्मा।
उन्होंने कहा –
“स्मॉल एम इज अ क्राइम, हैव अ ग्रेट एम।”
इंजीनियरिंग और पहला असफल सपना
कलाम(kalam) जी ने 1955 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में प्रवेश लिया। वहां उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की। एक बार जब उनका प्रोजेक्ट पसंद नहीं आया तो प्रोफेसर ने सिर्फ 3 दिन का समय दिया, वरना स्कॉलरशिप रद्द कर दी जाती।
कलाम जी ने बिना सोए तीन दिन मेहनत की और शानदार प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया। यह अनुभव उनके लिए जीवन भर की सीख बन गया।
एयरफोर्स में असफलता और आत्मबोध
उन्होंने अपने सपने को साकार करने के लिए इंडियन एयरफोर्स की परीक्षा दी, लेकिन वे 9वें स्थान पर आए और सिर्फ 8 लोगों का चयन हुआ। ये उनके जीवन की सबसे बड़ी असफलताओं में से एक थी, लेकिन इसी से उन्हें जीवन का सबसे बड़ा सबक भी मिला।
“It is only when we are faced with failure do we realize the true potential within us.”
DRDO और ISRO में अद्भुत योगदान
एयरफोर्स में असफलता के बाद उन्होंने 1958 में DRDO जॉइन किया। कुछ साल बाद विक्रम साराभाई के नेतृत्व में उन्हें ISRO भेजा गया, जहां उन्होंने इंडिया के पहले रॉकेट लॉन्च में भाग लिया।
चर्च से लॉन्चपैड तक
रॉकेट के पार्ट्स को साइकिल और बैलगाड़ी से लॉन्चपैड तक पहुंचाया गया। 21 नवंबर 1963 को भारत ने पहली बार अपना रॉकेट अंतरिक्ष में भेजा।
SLV प्रोजेक्ट और ‘मिसाइल मैन’ का नाम
1979 में जब SLV प्रोजेक्ट फेल हुआ, तब ISRO के चेयरमैन सतीश धवन ने उसका ज़िम्मा खुद लिया और कलाम जी को प्रोत्साहित किया। फिर 18 जुलाई 1980 को कलाम(kalam) जी ने SLV-3 से ‘रोहिणी सैटेलाइट’ को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
इसके बाद उन्होंने अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल, नाग जैसी मिसाइलें बनाई, जिससे उन्हें ‘मिसाइल मैन ऑफ इंडिया’ कहा जाने लगा।
पोखरण-2 और भारत रत्न
1998 में पोखरण-2 परमाणु परीक्षण में डॉ. कलाम(kalam)ने मुख्य भूमिका निभाई। अमेरिका की निगरानी के बावजूद इस मिशन को चुपचाप और सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। इसके लिए उन्हें 1997 में भारत रत्न से नवाज़ा गया।
भारत के 11वें राष्ट्रपति बने
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें भारत का राष्ट्रपति बनने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कुछ सोचने के बाद इसे स्वीकार कर लिया और 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। उन्हें “People’s President” कहा जाता है।
अंतिम क्षण और देश की श्रद्धांजलि
27 जुलाई 2015 को जब वे शिलॉन्ग में छात्रों को लेक्चर दे रहे थे, तभी उन्हें हार्ट अटैक आया और उनका निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार में 3.5 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए – एक मिसाल की तरह।
डॉ. कलाम(kalam) से जीवन के लिए सीखें (Life Lessons)
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सपने वो नहीं जो सोते समय आएं, बल्कि वो हैं जो आपको सोने न दें।
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कभी हार मत मानो – हार का मतलब है “पहली कोशिश में अंत नहीं”।
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सच्चा लीडर वही है जो असफलता की ज़िम्मेदारी खुद ले और सफलता टीम को दे।
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ज्ञान से बड़ा कोई धन नहीं।
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छोटा लक्ष्य अपराध है, बड़ा सोचो।
निष्कर्ष (Conclusion)
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम(Dr. A.P.J. Abdul Kalam) न सिर्फ एक महान वैज्ञानिक या राष्ट्रपति थे, बल्कि वे एक विचारधारा थे – एक मिशन, जो आज भी करोड़ों युवाओं को प्रेरणा देता है। अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो डॉ. कलाम के जीवन से सीख लें – ईमानदारी, समर्पण और मेहनत ही सफलता की सच्ची कुंजी है।
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