राकेश झुनझुनवाला: भारतीय स्टॉक मार्केट के वॉरेन बफेट(Rakesh Jhunjhunwala: The Warren Buffett of the Indian Stock Market)
परिचय

राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) को भारत के सबसे सफल इन्वेस्टर्स में से एक माना जाता है। उन्हें “इंडिया का वॉरेन बफेट” भी कहा जाता है। मात्र ₹5000 से स्टॉक मार्केट में कदम रखने वाले झुनझुनवाला ने अपनी कड़ी मेहनत, जोखिम लेने की प्रवृत्ति और समझदारी से निवेश करने की कला के दम पर अरबों की संपत्ति अर्जित की। उनका सफर संघर्षों से भरा था, लेकिन उनकी दूरदर्शिता और धैर्य ने उन्हें सफलता के शिखर तक पहुंचा दिया।
इस लेख में हम उनके जीवन, निवेश रणनीतियों, महत्वपूर्ण निर्णयों और उनके द्वारा लिए गए जोखिमों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
प्रारंभिक जीवन
राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) का जन्म 5 जुलाई 1960 को मुंबई, महाराष्ट्र में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उनके पिता एक इनकम टैक्स ऑफिसर थे और घर पर अक्सर स्टॉक मार्केट की चर्चाएँ होती थीं। इन चर्चाओं से प्रभावित होकर राकेश ने नौ साल की उम्र में स्टॉक मार्केट में रुचि लेना शुरू कर दिया। जब उन्होंने अपने पिता से पूछा कि शेयरों की कीमतें क्यों बढ़ती और गिरती हैं, तो उन्हें सलाह दी गई कि वे रोज़ अखबार पढ़ें और शेयर बाजार की खबरों को समझें।
इस सलाह ने राकेश के मन में शेयर बाजार (stock market) के प्रति गहरी रुचि पैदा की। हालांकि, उनके पिता ने उन्हें स्पष्ट रूप से कहा था कि वे न तो उनसे और न ही किसी दोस्त से शेयर बाजार में निवेश के लिए पैसे मांग सकते हैं। उन्होंने यह भी सलाह दी कि वे पहले अपनी पढ़ाई पूरी करें ताकि उनके पास एक बैकअप प्लान हो।
स्टॉक मार्केट(stock market) में पहला निवेश
राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) ने चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1985 में मात्र ₹5000 के साथ स्टॉक मार्केट(stock market) में कदम रखा। उन्होंने अपने बड़े भाई से कुछ पैसे उधार लिए और 1986 में टाटा स्टील के 5000 शेयर ₹253 प्रति शेयर की दर से खरीदे। कुछ ही महीनों में इन शेयरों की कीमत ₹540 तक पहुंच गई, जिससे उन्हें तीन गुना लाभ हुआ।
यह पहला मुनाफा उनके लिए प्रेरणादायक साबित हुआ और उन्होंने स्टॉक मार्केट (stock market) में अपने करियर को पूरी तरह से समर्पित कर दिया। धीरे-धीरे उन्होंने अपने विश्लेषण और जोखिम लेने की क्षमता को निखारा और बड़े निवेश करने लगे।
शुरुआती संघर्ष और सीख
हालांकि टाटा स्टील के शेयरों से उन्हें अच्छा लाभ हुआ, लेकिन शुरुआती वर्षों में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। स्टॉक मार्केट में सफल होने के लिए उन्होंने एक महत्वपूर्ण फिलोसॉफी अपनाई – “नाम बनते हैं रिस्क से”। उन्होंने उच्च जोखिम वाले निवेश किए और अपनी रणनीतियों को लगातार परिष्कृत किया।
उनके द्वारा उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण जोखिमों में शामिल हैं:
1. सेसा गोवा में निवेश (1997)
1997 में, सेसा गोवा (अब वेदांता लिमिटेड) गंभीर वित्तीय संकट से गुजर रही थी। आयरन ओर इंडस्ट्री की कीमतें बहुत गिर चुकी थीं, जिससे इस कंपनी के शेयरों की कीमत भी कम हो गई थी। जब अधिकांश लोग इस कंपनी में निवेश करने से डर रहे थे, तब झुनझुनवाला ने इस कंपनी के शेयर खरीद लिए।
कुछ समय बाद, आयरन ओर की कीमतों में वृद्धि हुई और सेसा गोवा के शेयरों की कीमत तेजी से बढ़ी। इस निवेश से उन्हें भारी मुनाफा हुआ और उन्होंने अपनी पकड़ मजबूत कर ली।
2. 1999 में बाजार गिरावट के दौरान निवेश
1999 में, जब नेशनल बजट घोषित होने वाला था, तब मार्केट ठंडा पड़ गया था। अधिकांश निवेशक पैसे निकाल रहे थे, लेकिन झुनझुनवाला ने इस समय पूरे आत्मविश्वास के साथ बाजार में निवेश किया। उन्होंने अंदाजा लगाया था कि यह बजट बिजनेस-फ्रेंडली होगा।
जैसे ही बजट की घोषणा हुई, मार्केट में उछाल आया और उनके निवेश की वैल्यू 20% से अधिक बढ़ गई।
3. हर्षद मेहता स्कैम के दौरान शॉर्ट सेलिंग (1992)
1992 में हर्षद मेहता स्कैम के कारण भारतीय स्टॉक मार्केट(stock market) में भारी गिरावट आई। इस समय उनके गुरु राधाकृष्ण दमानी ने उन्हें सलाह दी कि बाजार में कुछ गड़बड़ है और स्टॉक्स को शॉर्ट सेल करें। उन्होंने इस सलाह को माना और अपने जीवन का सबसे बड़ा मुनाफा कमाया।
टाइटन और दीर्घकालिक निवेश रणनीति
राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) का सबसे प्रसिद्ध निवेश टाइटन कंपनी में किया गया था। उन्होंने 2002 में टाइटन के शेयर ₹5 प्रति शेयर के हिसाब से खरीदे थे। कुछ वर्षों में इसकी कीमत ₹80 तक पहुंची, लेकिन फिर गिरकर ₹10 हो गई।
जहां अधिकांश निवेशक घबरा गए और अपने शेयर बेच दिए, वहीं झुनझुनवाला ने धैर्य बनाए रखा। उन्हें भरोसा था कि टाइटन आगे बढ़ेगी। उनका यह विश्वास सही साबित हुआ और आज टाइटन के शेयर ₹2500 से अधिक के स्तर पर पहुंच चुके हैं।
उनकी इस रणनीति से एक महत्वपूर्ण सीख मिलती है – “स्टॉक मार्केट(stock market) में धैर्य सबसे बड़ा हथियार है।”
अन्य निवेश और व्यावसायिक उपक्रम

राकेश झुनझुनवाला(Rakesh Jhunjhunwala) केवल शेयर बाजार तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने 2003 में अपनी खुद की एसेट मैनेजमेंट फर्म “रेयर एंटरप्राइजेज” की स्थापना की। इस कंपनी का नाम उन्होंने अपने और अपनी पत्नी रेखा झुनझुनवाला के नाम के पहले अक्षरों को मिलाकर रखा।
इसके अलावा, उन्होंने बायोटेक्नोलॉजी, डिजिटल एंटरटेनमेंट, हेल्थकेयर और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में भी निवेश किया। उन्होंने बॉलीवुड में भी हाथ आजमाया और “इंग्लिश विंग्लिश”, “शमिताभ” और “की एंड का” जैसी फिल्मों का निर्माण किया।
अकासा एयर
2021 में, उन्होंने भारतीय एविएशन सेक्टर में कदम रखते हुए “अकासा एयर” लॉन्च की। यह एक किफायती एयरलाइन थी, जो यात्रियों को सस्ती दरों पर यात्रा का अनुभव प्रदान करने के लिए बनाई गई थी।
झुनझुनवाला की निवेश रणनीतियाँ
- फंडामेंटल एनालिसिस – किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले उसकी फंडामेंटल स्ट्रेंथ को समझना।
- लॉन्ग-टर्म इनवेस्टमेंट – धैर्य के साथ लंबे समय तक स्टॉक्स को होल्ड करना।
- रिस्क-टेकिंग अप्रोच – जहां दूसरे डरते हैं, वहां अवसर तलाशना।
- मार्केट साइक्ल्स को समझना – मंदी और तेजी के चक्रों को समझना और सही समय पर निवेश करना।
राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) की सफलता की कहानी हर निवेशक के लिए प्रेरणादायक है। उनकी सफलता सिर्फ भाग्य पर नहीं, बल्कि उनकी समझदारी, धैर्य और जोखिम लेने की क्षमता पर आधारित थी। उन्होंने बार-बार यह साबित किया कि सही दृष्टिकोण और ज्ञान के साथ कोई भी व्यक्ति स्टॉक मार्केट में सफलता प्राप्त कर सकता है।
उनकी यात्रा हमें सिखाती है कि “जोखिम लेना सफलता की कुंजी है, लेकिन यह तभी फायदेमंद होता है जब उसे समझदारी से लिया जाए।”
Ratan Tata Sir की जीवन सफलता की कहानी आईए देखते हैं।